गीत/कोरोना वायरस
समय कठिन है तुम कुदरत से मत टकराना,
संयम रखना, शांत बैठना, ध्यान लगाना।
(1)
पहली बार आपदा आयी नहीं धरा पर
जाने कितनी बार मौत लौटी है आकर,
थोड़ा-सा धीरज रखना यह कोरोना भी
मिट जायेगा बंद द्वार पर दस्तक देकर,
तिरस्कार का यह अपमान न सह पायेगा,
इस शत्रु पर यही अस्त्र बेखौफ चलाना।
(2)
अपनी ‘कृत्रिम बुद्धि’ पर इतराने वालों,
पश्चिम में यह जहर उगाना बंद करो तुम,
अधिनायक बनने का जिसने सपना पाला
सब बेमौत मरे हैं मत ना गंध भरो तुम,
दुनिया पर शासन की जिसने चाह रखी है
नहीं बचा वो जिसने नहीं प्रभु को माना।
(3)
कभी-कभी जीवन में ऐसा दौर भी आता
कभी-कभी अपने बंदों को वो अजमाता
हमको आज नसीब हुई घडिय़ां गिनती की
इस अवधि में शक्ति से जोड़ों तुम नाता
अपने बच्चों की रक्षा के खातिर माँ भी
कूद पड़ेगी, पड़ा काल से यदि टकराना।
(4)
कुरूक्षेत्र में भी जब दुर्योधन ने देखा
पांडव सेना, कौरव सेना पर भारी है,
अश्वत्थामा ने नारायण अस्त्र चलाया
वैसी ही ये फूंक मारती महामारी है,
तब जो युक्ति श्रीकृष्ण ने बतलाई थी
वही कारगर, सब के सब शरणागत होना।
(5)
मन, मशीन, जीवन के अन्तर्द्वन्द्व बढ़ेंगे
साइबर सपनों के वन में मानव भटकेंगे,
करूणा, पीड़ा और आनन्द की अनुभूति से
सुपरमन वंचित होगा दावन उफनेंगे,
संकल्पों की सिद्धि होगी बड़ी चुनौती
मानवता का लक्ष्य रखा तो सफर सुहाना।