मेगासिटी की तर्ज पर शहर के गली-मोहल्ले भी हाइटेक और कम बिजली खर्च वाली एलईडी लाइटों से जगमगाने लगे हैं। पुरानी स्ट्रीट लाइटों की जगह नई एलईडी लाइट लगाने का टेंडर लेने वाली कंपनी ने तीन साल में पुराने सात हजार से अधिक पाइंट हटाकर उनकी जगह और ऐसे स्थान जहां परिषद ने जरूरत बताई वहां अब तक 11 हजार से अधिक पाॅइंट लगाकर शहर को रोशन कर दिया। मगर अब शहर के बढ़ते दायरे और लाइन विस्तारीकरण के तहत नई कॉलोनियों में एलईडी लगानी है तो नगर परिषद को अपने बजट से यह राशि खर्च करनी होगी। इसकी वजह है कंपनी द्वारा अब नई एलईडी लाइट अपने स्तर पर लगाने से इनकार करना। हालांकि वह आगामी सात साल तक जो एलईडी लगी है उसका रखरखाव जरूर अपने स्तर पर करेगी। ऐसे में पहले से आर्थिक तंगी से जूझ रही नगर परिषद को नई एलईडी का खर्च भी वहन करना होगा।
मालूम हो कि सरकार ने प्रदेशभर में एलईडी लगाने के लिए ईईएसएल (एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड) को अधिकृत किया था। इसके लिए तत्कालीन आयुक्त मुरारीलाल वर्मा ने जयपुर में कंपनी के साथ 10 अप्रैल 2015 को करार किया था। इस काम के लिए कंपनी ने ईऑन (ईऑन इलेक्ट्रिक लिमिटेड) को इंप्लीमेंट एजेंसी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद अप्रैल 2016 से कंपनी ने शहर में टाइमर जोन के हिसाब से पुरानी ट्यूब लाइट, मर्करी या सोडियम स्ट्रीट लाइट के स्थान पर विभिन्न वॉट की एलईडी लगाने का काम शुरू किया।