शहर में सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान ही यातायात के नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ रही है। यात्रियों की जान को जोखिम में डालकर सड़कों पर ओवरलोडवाहन सरपट दौड़ रहे है। टैंम्पों व टैक्सियों में लटकर यात्री यात्रा करने को मजबूर हो रहे है। परिवहन विभाग की ओर से कार्रवाई भी नियमित रूप से की जा रही है, लेकिन इन वाहनों पर अंकुश नहीं लग रहा है। मिल रोड स्थित आबकारी कार्यालय के निकट अघोषित टैक्सी स्टैण्ड बना हुआ है। जहां से प्रतिदिन आस पास के सैंकड़ों गांवों में जाने वाले ग्रामीण इन्हीं टैक्सियों के बोनट व छतों पर सवारियां करते देखे जा सकते हैं। सड़क सुरक्षा सप्ताह में भी मिल रोड स्थित महालक्ष्मी मिल के सामने पिकअप, जीप व टैम्पों की छत पर कई ग्रामीण बैठे देखे जा सकते है। इन वाहनों में चालक को भी बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती। छावनी रोड की भी यही स्थिति है। यहां रोजाना ग्रामीण अंचल से स्कूल आने वाले विद्यार्थी सहित अन्य लोग टैम्पो पर लटके देखे जा सकते हैं। रोडवेज बस स्टैंण्ड के सामने से अजमेर व नसीराबाद मार्ग पर चलने वाली टैक्सियों में यात्री लटकते हुए सफर कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सरकारी विभाग के कारिन्दों को इसकी जानकारी नहीं है लेकिन इनकी ओर से की जानी वाली कार्रवाई केवल लक्ष्यपूर्ति तक ही सीमित रहती है और ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण ओवरलोडवाहनों पर अंकुश नहीं लग पा रहा। गौरतलब है कि चार फरवरी से दस फरवरी तक ३१ वां अन्तरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह आयोजित किया जा रहा है। इसके बावजूद सप्ताह के दौरान भी इस पर अंकुश नहीं लग रहा।
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