ब्यावर-गोमती के बीच 116 किलोमीटर लंबे टू-लेन को फोरलेन में तब्दील करने वाली को प्रोजेक्ट बीच में छोड़ने वाली कंपनी को पूर्व में बनाए गए टू-लेन हाइवे के लिए वसूले जा रहे टोल को भी एक साल पहले ही छोड़ना पड़ेगा। इससे न सिर्फ कंपनी को फोरलेन में अब तक आई लागत का नुकसान उठाना पड़ेगा बल्कि टू-लेन टोल से होने वाली आय से भी हाथ धोना पड़ेगा। बैंकाें द्वारा लाेन देने से मना करने के कारण कंपनी ने फोरलेन निर्माण से हाथ खड़े कर दिए थे।
गोमती-ब्यावर के बीच टू लेन मेगा हाइवे को फोरलेन बनाने के लिए आईटीएनएल रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने बीओटी के आधार पर 23 फरवरी 2013 को निर्माण कार्य शुरू हुआ। कंपनी ने गोमती से ब्यावर के बीच में कुछ आबादी क्षेत्रों को छोड़ते हुए काम शुरू किया। कहीं अधूरी सड़क बनाई तो कहीं डामर बिछाकर पेवरीकरण भी कर दिया। कहीं फोरलेन चालू है तो कहीं एकदम सिमटा पड़ा है। वाहन चालक भ्रमित होकर हादसे का शिकार हो रहे हैं।
मालूम हो फोरलेन से पहले संबंधित कंपनी ने ही टू-लेन का निर्माण किया था। इसकी एवज में दिसंबर 2012 से टोल वसूली कर रही है। वित्तीय संकट में फंसने के बाद अब सरकार कंपनी से टोल भी अपने कब्जे में करने जा रही है। यही कारण है कि वन टाइम सेटलमेंट के अंतर्गत सरकार ने कंपनी को नोट बंदी के दौरान करीब 22 दिन तक टोल नहीं वसूलने पर क्षतिपूर्ति के तौर पर 2.77 करोड़ रुपए देने का निर्णय लिया।
टोल प्लाजा बागलिया
सरकार ने अजमेर और राजसमंद जिले में इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अवाप्ति के नाम पर अब तक 70.25 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। राजसमंद में अब तक प्रशासन ने 27.81 करोड़ और ब्यावर में 20.09 करोड़ रुपए मुआवजा राशि वितरित भी कर दी है। शेष मुआवजा राशि न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों या ग्राम पंचायतों के अधीन आने वाली आबादी भूमि सहित अन्य प्रकरणों से संबंधित है।