निलंबित सभापति की जमानत याचिका पर सुनवाई 23 को
पिछले 2 महीने से अधिक समय से न्यायिक अभिरक्षा में रह रही नगर परिषद की निलंबित सभापति को लेकर अब एक बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वे दीपावली पर घर पर दीप जलाएंगी या न्यायिक अभिरक्षा में ही रहेगी। इसकी वजह है हाईकोर्ट में उनकी ओर से पेश जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की तारीख तय होना।
8 अगस्त को एसीबी अजमेर की टीम ने बबीता चौहान को डॉ. राजीव जैन से 2.25 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इसके अलावा पार्षद गुरुबचन सिंह छाबड़ा ने भी सभापति पर उनके कॉम्पलेक्स की फाइल पास करने की एवज में एक दुकान मांगने का आरोप लगाया था। कार्रवाई के दौरान एसीबी को बबीता चौहान के घर से संबंधित दुकान की रजिस्ट्री के दस्तावेज भी मिले थे। एसीबी ने दोनो मामलों में एक साथ कार्रवाई की। डॉ. राजीव जैन वाले मामले में बबीता चौहान की गिरफ्तारी पहले हुई थी। एसीबी ने दोनों मामलों की जांच अलग-अलग शुरू की। डॉ. राजीव जैन की शिकायत पर एसीबी एएसपी मदनदान सिंह और पार्षद गुरुबचन सिंह छाबड़ा की ओर से पेश शिकायत पर एएसपी चंद्रप्रकाश शर्मा के नेतृत्व में जांच शुरू हुई।
इनमें पहले प्रकरण में चालान पेश होने के कुछ दिन बाद हाईकोर्ट ने निलंबित सभापति को जमानत दे दी। मगर इससे पहले ही उन्हें दूसरे मामले में एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया था। ऐसे में अब पार्षद गुरुबचन सिंह छाबड़ा की ओर से पेश शिकायत पर हाईकोर्ट में उनकी ओर से पेश जमानत याचिका पर सुनवाई 23 अक्टूबर को हो सकती है। सभापति रिश्वत प्रकरण से जुड़े शिवप्रसाद और परिषद के लिपिक जुंझार सिंह को जमानत मिल चुकी है।