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आचार संहिता हटने के बाद विभागों को प्रस्तावों पर मंजूरी का इंतजार

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनावों को देखते हुए लगाई गई आचार संहिता को हटा लिया है। आचार संहिता लगे होने के कारण अटके हुए प्रस्तावों पर जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद जागी है। 

शहर के विभिन्न विभागो की ओर से भेजे गए प्रस्तावों पर मंजूरी मिलने के बाद शहरवासियों में विकास की संभावना बढ़ेगी। शहर के सार्वजनिक निर्माण विभाग, विद्युत वितरण निगम व वन विभाग की ओर से लंबे समय पूर्व कई प्रस्ताव भेजे गए थे परंतु पहले विधानसभा व उसके बाद लोकसभा चुनावों के चलते आचार संहिता लगने के कारण इन प्रस्तावों पर मंजूरी नहीं लग पा रही थी। 

सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से डाक बंगले के फिर से निर्माण के लिए मुख्यालय में तीन करोड 92 लाख 18 हजार का प्रस्ताव भिजवाया है। इसके तहत अलग-अलग प्रकार के 12 निर्माण किए जाने प्रस्तावित है। अंग्रेजों के जमाने में बने डाक बंगले करीब कुछ माह पहले तेज धमाके के साथ धराशायी हो गया। इस डाक बंगले पर ही आजादी से पहले ही तिरंगा फहरा दिया गया था। ऐसे में इस भवन का ऐतिहासिक महत्व है। आजादी के बाद से दो साल पहले तक इस डाक बंगले के पास ही उपखंड कार्यालय संचालित होता रहा। जबकि प्रदेश के मध्य में ब्यावर बसा होने से अलग-अलग क्षेत्रों से अधिकारियों व मंत्रियों की आवाजाही बनी रहती है। ऐसे में इस डाक बंगले की आवश्यकता है। नए बनने वाले भवन में कमरे, एक बडा हॉल, पार्किग स्थल, टीन शेड सहित अन्य निर्माण शामिल है। इस भवन के निर्माण से ऐतिहासिक महत्व के भवन तैयार हो सकेगा। भवन निर्माण के लिए अलग-अलग निर्माण का तकमीना तैयार कर भिजवाया गया है।

विद्युत वितरण निगम की ओर से शहर के निकट स्थित पीपलाज के समीप स्थित औद्योगिक क्षेत्रों में विद्युत तंत्र को मजबूत किए जाने के लिए भी भूमि आवंटन के लिए प्रस्ताव बनाया गया। निगम की ओर से जीएसएस निर्माण के लिए वित्तीय स्वीकृति को मिल गई है परंतु अब तक भूमि आवंटन नहीं हुआ है। जिला कलक्टर की ओर से भूमि आवंटन की मंजूरी मिलने के बाद ही निगम की ओर से जीएसएस निर्माण शुरु किया जाएगा। 

विद्युत वितरण निगम की ओर से शहरी क्षेत्र में 33/11 केवीए क्षमता के जीएसएस निर्माण के लिए भूमि आवंटन का प्रस्ताव गत कई माह से नगर परिषद में अटका हुआ है। आचार संहिता के बाद अब जल्द ही विद्युत निगम को शहर में 33/11 केवीए जीएसएस के लिए मंजूरी मिलने की भी उम्मीद है। परिषद की ओर से अगस्त 2018 में निगम को भूमि देने का आश्वासन दिया था। जिसके बाद भी अब तक नगर परिषद ने निगम को जीएसएस निर्माण के लिए भूमि आवंटित नहीं की है। जिसके चलते शहरी क्षेत्र में जीएसएस निर्माण में देरी हो रही है। 

ब्यावर वन क्षेत्र में विचरण कर रहे पैंथर के संरक्षण को लेकर वन विभाग की ओर से मुख्यालय एक प्रस्ताव भेजकर ब्यावर रेंज को प्रोजेक्ट लेपर्ड में शामिल करने का प्रस्ताव भिजवाया गया था। वन विभाग की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के तहत ब्यावर वन क्षेत्र के 50 हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र को संरक्षित करने के साथ ही लेपर्ड सफारी शुरु किया जाना प्रस्तावित है। आचार संहिता हटने के बाद प्रोजेक्ट लेपर्ड को मंजूरी मिलने से ब्यावर राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाएगा।

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