मुख्यमंत्री शहरी जनकल्याण योजना के तहत आयोजित शिविरों में अब तक नगर परिषद एक भी व्यक्ति को पट्टा जारी नहीं कर सकी है। जबकि अजमेर संभाग में 245 पट्टे जारी हो चुके हैं। अब तक लगे शिविर की बात करें तो आमजन में भी कोई खास रुझान नहीं है। इसकी मुख्य वजह है सरकार का शुल्क में अब तक कोई कटौती नहीं करना। अधिकारियों की मानें तो जब तक शुल्क में रियायत नहीं मिलेगी आमजन इन शिविर में कोई खास रुचि नहीं दिखाएगा।
परिषद में लंबित कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के नियमन, पट्टे, भवन निर्माण स्वीकृति स्टेट ग्रांट एक्ट के तहत पट्टे, भूखंडों का उपविभाजन एवं पुनर्गठन, नाम हस्तांतरण लीज जैसे प्रकरणों को देखते हुए सरकार ने मुख्यमंत्री शहरी जन कल्याण योजना के तहत आमजन को राहत पहुंचाने के लिए 10 मई से शिविर शुरू किए। हालांकि अब तक इन कैंपों में परिषद प्रशासन को पट्टे और उप विभाजन से संबंधित 28 प्रकरण प्राप्त हुए हैं। मगर इनमें से एक में भी पट्टा जारी नहीं हो सका जबकि 13 में से 5 उपविभाजन के प्रकरणों का निस्तारण किया गया। जबकि अजमेर संभाग में आंकड़े पर गौर करें तो शहरी जन कल्याण शिविरों में अब तक 245 पट्टे जारी किए गए तथा 103 भवन मानचित्रों को स्वीकृति प्रदान की गई तथा 104 प्रकरणों में भू आवंटन किया गया है एवं 873 अन्य प्रकरणों का निस्तारण किए गए हैं। लीज मुक्ति के 45 प्रमाण-पत्र जारी कर 13.67 लाख रुपए वसूले गए। नगरीय विकास कर से 2.15 लाख रुपए एवं अन्य मदों से 144.92 लाख रुपए प्राप्त किए गए। इधर शिविर शुरू होने से पहले ही परिषद की विभिन्न शाखाओं में ऐसे प्रकरणों की संख्या 500 से ऊपर है। जबकि बुधवार तक आयोजित शिविर में परिषद को पट्टों से संबंधित 15 प्रकरण, उपविभाजन से संबंधित 13 और जन्म-मृत्यु पंजीयन शाखा से संबंधित करीब 40 प्रकरण प्राप्त हुए।
^सरकारने आमजन को राहत देने के लिए कैंप तो शुरू करा दिए मगर अब तक परिषद प्रशासन ने इसमें एक भी पट्टा जारी नहीं किया है। हालात यह है कि पहले शिविर में जो प्रकरण मिले थे उन पर अब तक जेईएन की मौका-रिपोर्ट भी नहीं हो सकी है। जबकि तीसरा कैंप आयोजित हो रहा है। -ज्ञानदेवझंवर, पार्षद
^सरकारजनता को गुमराह कर रही है। अभी तक तो पुराने पेंडिंग प्रकरणों का ही निपटारा नहीं हो सका है। पांच दिन बाद भी एक व्यक्ति को पट्टा नहीं मिल सका। प्रकरणों को जल्द निपटाने के दावे किए गए थे। -दलपतराजमेवाड़ा, नेता प्रतिपक्ष