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संसाधनों की कमी के बावजूद यात्री भार में अव्वल ब्यावर आगार

ब्यावर आगार प्रदेश के अन्य डिपो से यात्री भार की तुलना में आगे चल रहा है। वह भी एक या दो नहीं चार माह से आगे है। इससे आगार को गत वर्ष के मुकाबले आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इन सब के बावजूद संसाधन के अभाव में आगार प्रशासन को बसों का संचालन करना तक मुश्किल हो रहा है। ऐसे में ब्यावर आगार को लम्बे समय तक अव्वल रखना आगार प्रशासन को मुश्किल दिख रहा है। 

आगार के अधिकारियों ने बताया कि नवम्बर माह में आगार को यात्री भार का 82 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। जहां आगार ने 85 प्रतिशत लक्ष्य अर्जित किया। इस पर आगार को 3 करोड़ 56 लाख 15 रुपए की आय प्राप्त हुई थी। 

इसी का नतीजा था कि प्रदेश में आगार प्रथम स्थान पर आया था लेकिन दिसम्बर माह में 81 प्रतिशत की जगह 78 प्रतिशत ही यात्री भार का लक्ष्य अर्जित करने के कारण पांचवें स्थान पर आगार रहा। लेकिन नया साल शुरू होते ही आगार ने जनवरी माह में यात्री भार के मिले 81 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त कर पहले स्थान पर आ गया था। जनवरी माह आगार की आय 3 करोड़ 60 लाख 9 रुपए रही थी। फरवरी माह में 82 प्रतिशत पर आगार ने 83 प्रतिशत यात्री भार का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ ही 3 करोड 38 लाख रुपए की आय अर्जित कर पहले स्थान पर रहा। वहीं मार्च माह में अब तक आगार अन्य डिपो की तुलना में पहले स्थान पर चल रहा है। आगार को इस माह 85 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त हुआ है, इसकी एवज में आगार ने 91 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया है तथा 1 करोड़ 93 लाख रुपए की आय भी अर्जित की है। लेकिन आगार में बसों की कमी के कारण 4 रुटों पर प्रतिदिन बसों का संचालन नहीं हो रहा है। यदि इसमें बस खराब हो जाए या कर्मचारी अवकाश पर चला जाए तो इस संख्या में ओर बढ़ोत्तरी हो जाती है। 

बसों पर एक नजर 

आगार में कुल 89 बसें प्रदेश व उसके बाहर संचालित हो रही है। लेकिन आगार को 93 बसों की जरूरत है। इसमें में भी आगार के पास स्वंय की 39 बसे है। जिसमें 25 बड़ी व 14 मिडी बस संचालित हो रही है तथा 50 अनुबंधित बसें आगार के बेड़े में शामिल है। आगार के कर्मचारियों ने बताया कि वैसे ही आगार में बसों की कमी चल रही है। इसके बाद भी मुख्यालय ने ब्यावर आगार से 5 बसों को जोधपुर आगार में स्थानतरण करने के आदेश कर दिए है। 

इनका कहना है 


पहले स्थान पर रहने के बावजूद सुविधाओं के लिए तरस रहा डिपो कर्मचारियों के साथ बसों के अभाव में कई रुटों पर बसों का नहीं हो रहा संचालन 

सौ से अधिक चल रहे रिक्त पद 

ब्यावर आगार में कुल 392 पद कर्मचारियों के स्वीकृत है। इनमें से 252 कार्यरत है तथा 128 रिक्त पद चल रहे है। इसमें सबसे अधिक परेशानी वर्कशॉप व परिचालकों में है। आगार में परिचाल के 179 पद स्वीकृत है, जहां 148 कार्यरत है। लेकिन इन कार्यरत परिचालकों में 5 बस सारथी के परिचालक है तो 51 ऐसे चालक है, जिनसे परिचालक का कार्य करवाया जा रहा है। अनुबंधित बसों की संख्या अधिक होने के कारण आगार में महज एक चालक का पद रिक्त चल रहा है। आगार में 59 चालक के पद स्वीकृत है, इनमें से 46 आगार व 12 एजेंसी के चालक कार्य कर रहे है। वहीं वर्कशॉप पर नजर डाले तो यहां भी स्थिति खराब है। वर्कशॉप में 92 स्वीकृत पदों में महज 34 ही कार्यरत है तथा 58 पद रिक्त चल रहे है। रिक्त पदों में तकनीकी कर्मचारियों संख्या कम होने के कारण बसों का रखरखाव करना ही आगार प्रबंधन के लिए मुश्किल हो रहा है। बसों की चेंकिंग के लिए आगार के पास यातायात निरीक्षकों की भारी कमी है। आगार में 9 पद यातायात निरीक्षकों के पद स्वीकृत होने के बावजूद महज 2 निरीक्षक ही कार्यरत है। ऐसे में इन दो निरीक्षक पर ही बसों की चेंकिंग का भार है। मंत्रालयिक वर्ग में 53 पद स्वीकृत है, जिसमें से 22 कार्यरत है तथा 31 पद स्वीकृत है। आगार के अधिकारियों ने बताया कि यदि इन कमियों को पूरा कर दिया जाए तो आगार की आय में ओर अधिक बढ़ोत्तरी होने के साथ ही यात्रियों को भी सुविधा प्राप्त होगी। 

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