शहर के समीप स्थित कोटड़ा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययरनत विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम कर रहे हैं। विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की ओर से जल सरंक्षण व भूजल स्तर वृद्धि परियोजना के तहत किए गए कार्यों के कारण उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान ही नहीं मिली,अपितु उन्हे प्रतिष्ठित अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से पुरुस्कृत भी किया गया है। फाउंडेशन ने कोटड़ा में आकर डॉक्यूमेंंटरी फिल्म भी तैयार कर यू-ट्यूब पर अपलोड किया गया है।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोटडा जवाजा में स्काउटिंग व इको क्लब गतिविधि के तहत सतत जल संरक्षण व भूजल स्तर वृद्धि परियोजना’ पर कार्य किया गया। जिसके बाद बारिश के दौरान एकत्र हुए पानी का साल भर उपयोग किया जा रहा है। इस पूरे कार्य के दौरान बच्चों ने सारे कार्य अपने स्तर विद्यालय के शिक्षक नरेंद्र सिंह चौहान के निर्देशन में किए हैं। इसी के चलते नरेंद्र चौहान व कार्य में लगे बच्चों को विशेषतौर पर सम्मानित भी किया गया है।
बच्चों के इस कार्य में विद्यालय के प्रधानाचार्य अवधेश शर्मा, स्काउट, संपूर्ण स्टाफ एवं ग्रामवासी पूर्ण सहयोग करते हैं।
परिसर में कंपोस्ट खाद बनाई, पौधों को मिल रही ऊर्जा
विद्यार्थी विद्यालय परिसर में स्थित पीने के पानी की प्याऊ से बचे हुए बेकार पानी को पौधों की क्यारियों में प्रवाहित करने के साथ ही कंपोस्ट खाद बनाने के काम में ले रहे हैं। इसके लिए विद्यार्थियों ने गड्ढे बनाए गए हैं जिनमें पेड़ पौधों की पत्तियों कागज आदि से खाद तैयार की जा रही है जो पेड़ पौधों के लिए अच्छे पोषण का कार्य करती है।
ग्रामीण हो रहे जागरुक
विद्यालय के शिक्षक नरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि कार्य के तहत विद्यार्थियों एवं अभिभावकों में जल के प्रति संवेदनशीलता एवं जागरूकता उत्पन्न करने लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
कोटड़ा के सरकारी विद्यालय के बच्चों के प्रयास लाए रंग, जल संरक्षण व भूजल स्तर वृद्धि परियोजना के लिए मिला अजीम प्रेमजी फाउंडेशन अवार्ड
जल संरक्षण के लिए ये कार्य किए
जल संरक्षण व भूजल स्तर वृद्धि परियोजना के तहत बच्चों ने विद्यालय भवन की छतों को पीवीसी पाइप्स से जोड़ा और जमीन पर स्टोरेज टैंको का निर्माण कर उनमें वर्षा जल को संचित किया जा रहा है। इसके बाद बचे हुए अतिरिक्त पानी को भूजल स्तर वृद्धि के लिए विद्यालय में स्थित एक सूखे कुएं में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसके साथ ही वर्षा ऋतु में विद्यालय प्रांगण में बहने वाले बेकार जल को प्रबंधन करने के लिए गहरे गड्ढा बनाकर इसमें बड़े-बड़े पत्थर डालकर एक सोखने वाला गड्ढा बनाया गया है । यह गड्ढा बेकार जल को भूजल स्तर में सोंखने देता है । इससे आसपास के हैंडपंप भी रिचार्ज हुए हैं। जिससे ग्रामीणों को भी पानी की कमी से दो-चार नहीं होना पड़ता है।