शहर में होली का पर्व श्रद्धा व उत्साह से मनाया जाएगा। बुधवार को होलिका दहन चतुर्दर्शी युक्त पूर्णिमा में मनाया जाएगा। 21 मार्च को धुलंडी मनाई जाएगी। इसके लिए शहर में तैयारियां शुरू हो गई हैं। मंगलवार को भी खरीदारी के लिए शहर के बाजारों में लोगों की भीड़ रही। पंडित सत्यप्रकाश दाधीच ने बताया कि बुधवार को रात 9 बजे तक भद्रा रहेगा। इससे होलिका दहन भद्रा के बाद 9 बजकर 15 मिनट पर करना श्रेष्ठ रहेगा। बुधवार के दिन होलिका दहन करना सभी लोगों के लिए श्रेष्ठ फलदायी रहेगा।
पंडित दाधीच ने बताया कि सिंह राशि का स्वामी सूर्य बुध का मित्र ग्रह होने से आपसी समता व प्रेम बढ़ेगा। नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा का भद्रा रहित प्रदोष काल में करना चाहिए। इस बार सुबह 10 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजे तक भद्रा रहेगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्रा के पश्चात रात 9 बजकर 15 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
बन रही है ग्रह नक्षत्रों की विशेष स्थिति: पंडित दाधीच ने बताया कि इस साल होली पर ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से ये त्योहार ज्योतिषीय नजरिए से और भी खास रहेगा। होली पर सूर्य मीन राशि में रहेगा, जो कि बृहस्पति की राशि है। चंद्रमा सिंह राशि में रहेगा। बुध ग्रह कुंभ में यानी शनि की राशि में रहेगा। बृहस्पति वृश्चिक राशि में रहेंगे। शुक्र मकर राशि में और शनि धनु राशि में रहेगा। इसके अलावा राहु केतु मिथुन और धनु राशि में रहेंगे। इसलिए सभी के लिए शुभदायी रहेगी।
राशि के भी रंग, उन्हें के अनुसार खेलें होली
पंडित दाधीच व शास्त्री ने बताया कि सूर्य कि किरणों में सात रंग है। वेदों इन्हे सात रंग कहा जाता है। इन्हे तीन भागों में बांटा गहरा, मध्यम व हल्का। इस हिसाब 21 रंग होते है। हर देवता के प्रिय रंग है। इसी प्रकार हर राशि व ग्रह के भी प्रिय रंग है। मसलन शनि को काला रंग पसंद है। लक्ष्मी का लाल रंग पसंद है। मानव जीवन में रंग अपना प्रभाव छोड़ते है। इस कारण हमें अपनी राशि के अनुसार रंग, अबीर व गुलाल का प्रयोग होली खेलने में करना श्रेष्ठकर रहता है।