A to E Beawar News Latest

मेडिकल कॉलेज की योग्यता वाले राजकीय अमृतकौर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए नहीं फोरेंसिक मेडिसिन

प्रदेश के सबसे ज्यादा आउटडोर और हर माह 30 से अधिक पोस्टमार्टम करवाने वाले राजकीय अमृतकौर अस्पताल में लंबे अर्से से पोस्मार्टम की जिम्मेदारी एमबीबीएस डॉक्टरों पर ही है। जबकि ब्यावर से छोटे और कम पोस्टमार्टम करवाने वाले अस्पतालों में फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट की नियुक्ति हो रखी है। 

कई स्पेशलिस्ट की नियुक्ति तो ऐसे अस्पतालों में हो रखी हैं जहां कई कई दिन तक पोस्टमार्टम का काम ही नहीं पड़ता। ब्यावर के राजकीय अमृतकौर अस्पताल में औसतन 5 से अधिक एमएलसी केस आते हैं। जिनमें दुर्घटनाएं, हत्या, मारपीट, विषाक्त सेवन, जहरीले जानवरों के काटने समेत अन्य मामले शामिल है। 

इतना ही नहीं अमृतकौर अस्पताल में ब्यावर समेत समीपवर्ती जिले पाली, भीलवाडा, राजसमंद और नागौर जिले के सीमावर्ती थाना क्षेत्रों के मामले भी आते हैं। ऐसे में ब्यावर में फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट की बेहद जरूरत होने के बाद भी लंबे अर्से से फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट के पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। इसके साथ ही मोर्चरी में भी सालों पुराने डीप फ्रीज से काम चलाया जा रहा। इस डीप फ्रीज की क्षमता बढाने को लेकर भी कई बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है। 
करीब दो साल पूर्व ब्यावर में एक फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. पृथ्वीसिंह मीणा की नियुक्ति की गई। जिनके आने से पोस्टमार्टम समेत अन्य मामलों में पुलिस को मदद मिलने लगी। उसके कुछ समय बाद ही एक और फोरेंसिक स्पेशलिस्ट डॉ. महेंद्र सिंह चौधरी की नियुक्ति हो गई। दोनों के यहां आने से कई मामलों में पुलिस की मदद होने लगी। यहां तक कि हत्या और अन्य वारदातों में फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट को मौके पर ले जाने का प्रस्ताव भी लाया गया। लेकिन इसी बीच पहले डॉ. पृथ्वीसिंह मीणा को किसी प्रशिक्षण के लिए जयपुर भेज दिया गया और कुछ दिन बाद ही डॉ. महेंद्र चौधरी को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पाली के मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति दे दी गई। ऐसे में ब्यावर में फोरेंसिक स्पेशलिस्ट के दोनों पद खाली हो गए। 
ब्यावर के राजकीय अमृतकौर अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट की नियुक्ति नहीं होने के कारण पोस्टमार्टम समेत अन्य एमएलसी केसों की रिपोर्टिंग जांच और आईआर रिपोर्ट बनाने का कार्य सीनियर एमबीबीएस डॉक्टरों के जिम्मे आ जाता है। ऐसे में अस्पताल का बाकी कार्य तो प्रभावित होता ही है कई बार सोनोग्राफी विशेषज्ञ को भी मेडिकल ज्यूरिस्ट का कार्य करना पड़ता है। ऐसे में सोनोग्राफी का कार्य बंद ही करना पड़ता है। 
गौरतलब है कि वर्तमान में चिकित्सा मंत्री का जिम्मा अजमेर जिले के ही रघु शर्मा के पास है। हालांकि संसदीय क्षेत्र राजसमंद है लेकिन ब्यावर प्रशासनिक दृष्टि से अजमेर जिले में आता है। ऐसे में चिकित्सा मंत्री के गृह जिले के सबसे बडे जिला अस्पताल में ही फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट नहीं होना चिकित्सा विभाग की पोल खोलता है।

News Source

Related posts

Technical q Computers Beawar

Rakesh Jain

कागजों में काम कर रहे डॉक्टर

Rakesh Jain

Laxmi cakes & Food station Beawar

Rakesh Jain