A to E Beawar News Latest

5 साल से पहले प्राइवेट स्कूल नहीं बदल सकेंगे यूनिफॉर्म

शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में यूनिफार्म, पुस्तकें और स्टेशनरी आदि के नाम पर अभिभावकों से की जाने वाली भारी भरकम वसूली पर रोकथाम के लिए कवायद शुरू की है। इसके तहत शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए है। जहां निजी स्कूलों को अपने पाठ्यक्रम की पुस्तकों की सूची सत्र शुरू होने के एक माह पहले ही स्कूल की वेबसाइट पर डालनी होगी। 

नए नियमों के अंतर्गत स्कूल स्टेशनरी और अन्य शिक्षण सामग्री एक निश्चित दुकान से लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। पांच वर्ष से पहले यूनिफार्म भी नहीं बदल सकेंगे। इन निर्देशों के तहत निजी विद्यालय अब अभिभावकों से यूनिफार्म, जूते, मौजे, टाई, पुस्तकें आदि के नाम पर भारी रकम वसूल नहीं कर पाएंगे। इन निर्देशों की अवहेलना होने पर विद्यालय की मान्यता रद्द की जा सकती है। जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वे स्कूलों पर निगरानी रखें और शिकायत मिलने पर कार्रवाई करें। स्कूलों में अप्रैल से नया शिक्षण सत्र शुरू हो रहा है। अभिभावकों को शिकायत रहती है कि प्रवेश के समय निजी स्कूल यूनिफॉर्म, पुस्तकें, स्टेशनरी और अन्य शिक्षण सामग्री के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूलते हैं। एक निश्चित दुकान या स्कूल में बने स्टोर से ही पुस्तकें लेने के लिए बाध्य किया जाता है। सामान भी बाजार दर से ज्यादा रेट पर होता है। ऐसे में अभिभावकों पर आर्थिक भार पड़ता है। इन शिकायताें को देखते हुए शिक्षा विभाग ने यह दिशा निर्देश जारी किए हैं। 

निजी विद्यालय अपनी सुविधानुसार एनसीईआरटी या राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल या प्रारंभिक शिक्षा बोर्ड के साथ ही निजी प्रकाशकों की पाठ्यक्रम के मुताबिक पुस्तकें लागू कर सकेंगे। इसके लिए यह अनिवार्य है कि शिक्षण सत्र शुरू होने से कम से कम एक माह पूर्व पुस्तकों की सूची, लेखक, प्रकाशक का नाम तथा मूल्य को विद्यालय के सूचना पट्‌ट एवं स्वयं की वेबसाइट पर दर्शाएं, जिससे की अभिभावक खुले बाजार में पुस्तकों को अपनी सुविधा अनुसार क्रय कर सके। पुस्तकों के अलावा स्कूल ड्रेस, टाई, जूते और कॉपियां आदि स्टेशनरी आइटम भी खुले बाजार से क्रय करने को स्वतंत्र रहेंगे। इसके अतिरिक्त किसी भी शिक्षण सामग्री पर विद्यालय के नाम का अंकित नहीं कर सकेंगे न ही किसी दुकान विशेष को इन सामग्री के लिए अधिकृत करेंगे और ना ही अभिभावक दबाव बनाएंगे। कम से कम पांच वर्ष तक यूनिफार्म नहीं बदल सकेंगे। निजी विद्यालयों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विद्यालय की किताबें, यूनिफार्म आदि कम से कम तीन स्थानीय विक्रेताओं के पास उपलब्ध हो। 

News Source

इन पर पड़ती है मार… 

निजी विद्यालयों की मनमानी का सबसे अधिक प्रभाव आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चों के अभिभावकों पर पड़ती है। पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे अभिभावक के बच्चों को प्रवेश होने पर बच्चों के यूनिफार्म और पाठ्यपुस्तकें आदि मैनेज करना परेशानी भरा होता है। 

Related posts

दादी धाम में वार्षिकोत्सव शुक्रवार से

Rakesh Jain

डा. प्रीतीश होमियोपैथी क्लिनिक Beawar

Rakesh Jain

गीत/कोरोना वायरस by RamPrasad ji Kumawat – Dainik Nirantar Beawar

Rakesh Jain