केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की इलेक्ट्राेनिक नेशनल एग्रीकल्चरल मार्केट (ई-नाम) याेजना के तहत ब्यावर कृषि उपज मंडी में प्रस्तावित असेइंग लैब जांच प्रयाेगशाला पिछले एक साल से सरकारी फाइलाें में अटकी हुई है। कृषि विपणन निदेशालय के निर्देश पर हाल में तीसरी बार संशाेधित प्रस्ताव भेजा गया है। हैरत की बात यह है पहली बार भेजा गया प्रस्ताव इसलिए वापस अा गया कि अनुमानित बजट कम लगा। मंडी प्रशासन ने लगभग दाे गुना खर्च बढ़ाकर प्रस्ताव भेजा ताे ज्यादा लगा। तीसरी बार प्रशासन ने पहली बार से भी छह लाख रुपए कम का प्रस्ताव भेजा है अाैर उसे उम्मीद है कि लैब की इजाजत मिल जाएगी।
केंद्र सरकार की ई नाम याेजना के तहत लैब स्थापित करने के लिए दिसंबर, 2018 में 36 लाख का अनुमानित खर्च बताकर प्रस्ताव भेजा था जिसे निदेशालय ने यह कहकर लाैटा दिया कि अनुमानित खर्च बढ़ाकर भेजें। उसके बाद मंडी समिति ने 70 लाख का बजट बताकर प्रस्ताव भेज दिया जिसे कम करने के निर्देश देकर लाैटा दिया। अब गत 23 मई काे समिति ने तीस लाख रुपए का अनुमानित खर्च बताते हुए प्रस्ताव भेजा है। गाैरतलब है कि गत वर्ष समिति ने 36 लाख का खर्च बताया था। लैब स्थापित होने के बाद अपनी उपज को मंडी लाने वाले काश्तकारों को लैब में उपज की गुणवत्ता जांच करवाने के बाद उचित दाम प्राप्त हो सकेगा।
मंडी अधिकारियों ने बताया कि एक साल पहले कृषि विपणन बोर्ड की ओर से मांगे गए प्रस्ताव में शहर की कृषि उपज मंडी प्रशासन ने लैब को स्थापित करने के लिए 36 लाख 55 हजार रुपए की लागत आने का प्रस्ताव भेजा था। जिसमें मुख्य रूप से कम्प्यूटर, लेन नेटवर्क, प्रिंटर, स्केनर, पॉवर बैकअप, फर्नीचर, दो कम्प्यूटर ऑपरेटर, लैब ऑपरेटर सहित 1 लाख 50 हजार रुपए की जिंसो की जंाच करने वाली मशीन का प्रस्ताव बना कर
मुख्यालय को भेजा था। लेकिन इस बार भेजे गए प्रस्ताव में टच स्क्रीन कियाेस्क व इलेक्ट्राेनिक डिस्प्ले बाेर्ड अादि पर तीस लाख का खर्च बताते हुए कुछ खर्चाें मंे कटाैती की है।
मंडी अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की सभी मंडियांे में कृषकाें काे उनकी उपज का सबसे सटीक मूल्य दिलाने के लिए उसे देश भर की मंडियाें में चल रहे भावाें से अवगत कराया जाएगा। स्थानीय मंडी मे स्थापित डिस्प्ले बाेर्ड पर सभी मंडियाें के भाव चलते रहेंगे ।