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Beawar News Hemendra Soni

BDN
“मेरे शहर के लोग फिर भी मुंह नही खोलते”
मेरा शहर ब्यावर कई मायनों में महान है इसकी सहन शीलता की मिसाल यहां के राजनेता जगह जगह बयान करते है ।
शहर के नेता चाहे वो किसी भी दल से संबंध रखता हो वह जहां भी जाते है वहां पर ब्यावर के सहन शीलता की कहानियां सुनाते नही थकता ।
वो बड़े गर्व से सीना चौड़ा करके बडी शान से कहता है कि ब्यावर में कोई भी नेता राज करो या कोई प्रशासनिक अधिकारी राज करो ओर चाहे जैसे राज करो ब्यावर की जनता अपना मुंह तक नही खोलती है , चाहे पानी की समस्या हो 2 – 2, 3 – 3 दिन पानी नही आता है तो भी किसी के मुंह से आवाज नही निकलेगी, चाहे बिजली हो कब बंद होती है कब आती है , या क्यो बंद करी कितने समय के लिए बंद करी, दिन हो रात गर्मी हो सर्दी, या हो बच्चो की परीक्षा किसी को नही है चिंता फिर भी नही मुंह खोलती मेरे शहर ब्यावर की जनता ।
रात्रि के 10 बजे बाद भी तेज आवाज में बजने वाले DJ पर कंट्रोल करने वाला कोई नही चाहे परीक्षा में बच्चो का भविष्य दाव पर लगा हो किसी को नही चिंता । वो तो कहते है हम तो रात भर DJ पर नाचेंगे ओर गाएंगे हमे कोई नही रोक सकता हमारी पहुच ऊपर तक है ?
मेरे शहर की सड़कें बेबसी के आंसू बहा रही है, गलिया मोहल्ले ओर कालोनियों की सड़कों को बने हुए एक जमाना हो हो गया नई बनाना तो दूर पेच वर्क तक के लिए कोई तैयार नही शहर की कई सडके जो की आवागमन का प्रमुख मार्ग है उसकी तो हालात है यह कि सड़क कही नजर ही नही आ रही है और टूटी फूटी सड़क पर वाहनों के आने जाने से उड़ने वाली धूल से अनेक बीमारियां फैलने लगी है । शहर की मुख्य सड़क को केबल डालने के बहाने रोजाना नोचा जा रहा है और वापस मरम्मत भी नही की जाती है ।
गौरव पथ तो वास्तव में ब्यावर शहर का गौरव बढ़ाएगा, जहा बिना किसी पूर्व योजना के सड़क को खोद दिया गया और तो ओर बिना अमानत राशि जमा किये ही ठेके बाट दिए गए , जबकि उस सड़क पर ना तो अतिक्रमण हटाया गया, ना बिजली के पोल हटाये गए और नाही पानी की लाइन शिफ्ट की गई, नाही टेलीफोन की लाइन ओर खम्बे शिफ्ट किये गए और ना ही मार्ग बनाने की राह में रोड़ा डालने वाले पेड़ पौधे हटाये गए , ओर नाही पानी की निकासी के लिए नालो का निर्माण किया गया , फिर भी गौरव पथ के शिलान्यास के बाद रातो रात आनन फानन में सड़क को खोद दिया गया ओर वो आज तक ऐसे ही खुदी हुई पड़ी है और में समझता हूं, जब तक विभिन्न विभागों का तालमेल नही होगा तब तक यह खुदी हुई सड़क शहर की जनता के गौरव को बढ़ाती हुई शोभा देगी । लेकिन फिर भी मुंह नही खोलती मेरे शहर की जनता ।
पिछले 15 / 20 वर्षो में बसी शहर की नई कालोनियां तो बिना किसी मास्टर प्लान के पूरी तरह बेढंगे ओर मनमर्जी के तरीके से बस गई है । इस कारण शहर की सोंदर्यता पर भी दाग लगा है । जहाँ पर ना तो बिजली, पानी और ना ही टेलीफोन की लाइन व्यवस्थित रूप से डाली गई है और ना ही गंदे पानी और बरसात के पानी की निकासी की सुविधा की गई है और ना ही सड़क का निर्माण कराया गया है । कई कई जगह तो बिजली के खंबे सड़क के बीच में ही खड़े कर दिए गए है । फिर भी मुंह नही खोलती मेरे शहर की जनता ।
बरसात के पानी की निकासी की व्यवस्था सही ना होने के कारण मात्र 3/4 इंच बरसात में ही मेंरे शहर की कई कालोनियां जल मगन हो जाती है कि कई मोहल्ले डूब क्षेत्र बन जाते है फिर भी मुंह नही खोलती मेरे शहर की जनता ।
अतिक्रमण के मामले में तो ब्यावर का नाम किसी रिकार्ड बुक में आना चाहिए, अपने चहेतों को लाभ दिलाने ओर सुविधा शुल्क के साथ सुविधा उपलब्ध कराने में तो ब्यावर का कोई सानी नही । इसी लिए वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ जी भाई साहब ने इसे नरक परिषद , लावारिस शहर और लापता गंज, ओर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी तक की उपाधि से नवाजा है जो कि बिल्कुल सटीक बैठती है ।
निर्माण कार्यो में चहेतो को लाभ पहुचाने के समय और स्वार्थ पूर्ति के समय पे हो जाने के समय किसी भी नियम की पालना नही की जाती और जहां स्वार्थ पूर्ति नही होती है वहा निर्माण कर्ता को नियमो के डंडे से परेशान कर उसका निर्माण बाधित करना ही नेताओ का उद्देश्य है । इस कारण शहर में कई बड़े व्यावसायिक परिसर सत्ता बदलने या नेता बदलने के इंतजार में अपने कार्य को रोक कर बैठे है कि इस राज में कार्य शुरू करना उनके बस की बात नही । ऐसे कई उदाहरण देखे गए है । फिर भी मेरे शहर की जनता मुंह नही खोलती ।
आवारा जानवर को शहर से दूर छोड़ने ओर आवागमन को सुचारू ओर निर्बाध कर जनता को राहत दिलाने के नाम शहर की जनता के लाखों रुपये बर्बाद कर दिए गए है लेकिन फिर भी आवारा जानवरो से मुक्ति नही मिली । आवारा जानवरो के मामले में तो आप पार्टी ने कोर्ट में केस कर नगर परिषद को दिन में तारे दिखा रखे है लेकिन फिर भी मेरे शहर की जनता चुप है ।
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था हो या बाजारों में अतिक्रमण की समस्या हो, या पाली बाजार के डिवाइडर हटाने का मुद्दा हो जिनमे टेंडर निकलने के 6 माह बाद भी कार्य नही हुवा हो ऐसे कई अनगिनत मुद्दे है जिसके लिए शहर की जनता मुंह नही खोलती है ।
शहर की प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन से लेकर रिजल्ट तक होती है मनमानी किसी नेता और मंत्री तक कि नही सुनते ही संचालक, मनमर्जी से भारी भरकम फीस ओर किताबे कॉपियां ड्रेस, खरीदने का दबाव और हर वर्ष कोर्स बदल कर नई किताबे लाने का दबाव ताकि पुरानी किताबे किसी के काम मे नही आ सके और अभिभावक दुगने तिगुने दाम पर मजबूरी में नई खरीदे । प्राइवेट स्कूलों को RTI की पालना करते समय होती है तकलीफ ओर नियमो की आड़ में करते है आनाकानी । लेकिन किसी मंत्री, सांसद और विधायक की हिम्मत नही की इनके खिलाफ कुछ मुंह खोले ओर कार्यवाही कर सके । क्योकि कई स्कूल और कई स्कुलो के संचालकों की पहुच ऊपर तक है । फिर भी मेरे शहर की जनता मुंह नही खोलती ।
अस्पताल में सुविधाओं के मामले में सुविधाओ से ज्यादा चर्चा सुविधा शुल्क का रहता है , यहां आए दिन सुविधा शुल्क का डंका बुलन्द होता रहता है और किसी ना किसी तरह मरीज ओर मरीज के रिश्तेदारो की जेब साफ करने में AKH के स्टाफ का कोइ सानी नही, साधारण कर्मचारी के अलावा बड़े बड़े डाक्टरो द्वारा सुविधा शुल्क के लिए मरीजो की जान जोखम में डालने से भी परहेज नही किया जाता, ओर तो ओर लाशो के लिए भी सोेदे बाजी करने से बाज नही आते है AKH के कर्मचारी, ऐसा ही एक वाकिया विधायक महोदय की मध्यस्थता से निपटाया गया था । रक्त के सौदागर भी मरीज के परिजनों को अपने चंगुल में फंसा कर पैसा वसूलने से बाज नही आते थोड़े समय पहले 2 केस भी सामने आ चुके है । ऐसे है मेरे शहर के लोग फिर भी मुंह नही खोलते ।
ऐसे ही कई छोटे मोटे मुद्दे है जो शहर के विकास के लिए अभिशाप बने हुए है ।
पिछले 30 वर्षों से ब्यावर को जिले के लिए छला गया उनके बाद भी आज तक जिला नही बना । ब्यावर की जनता के धैर्य की यह राजनेता ओर कितनी परीक्षा लेंगे ।
एक अदद ट्रेन रानी खेत एक्सप्रेस को रुकवाने के लिए शहर के बड़े से लेकर छोटा राजनेता ओर सांसद तक एड़ी चोटी का जोर लगा कर थक हार कर बैठ गए, इसके अलावा कई सामाजिक और गैर राजनेतिक संगठन भी अपना प्रयास कर चुके हे, लेकिन ट्रैन का रुकना संभव नही हो पाया । ऐसी है मेरे शहर की राजनीति, उसकी ऊपर तक कितनी पकड़ है उसका नमूना इसी से मिल जाता है ।
इसके उपरांत भी जुमला यह कि काम बोलता है
शहर का विपक्ष तो खुद अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहा है वो क्या जनता के हितों के लिए आवाज बुलंद करेगा ।
मुझे लगता है मेरे शहर की जनता की सहनशीलता को जंग लग गया है जो कि हटने का नाम ही नही ले रहा है , मुझे समझ नही आ रहा है कि कब तक सहन करोगे ओर क्यो सहन करोगे अब समय आ गया है कि इस सहन शीलता को नष्ट करो और जागरूक शहरी बनो नही तो आने वाली पीढ़ी हमे कभी माफ नही करेगी । क्या अब भी हम इंतजार करेंगे कि हमारे खुद के साथ कोई अन्याय हो या घटना हो या दुर्घटना हो उसके बाद हम जागेंगे ? में समझता हु की इसकी नोबत नहीं आनी चाहिए |
अब आवश्यकता है इस सहनशीलता को ऊपर रख, अपने निजी स्वार्थों से मोह भंग कर शहर और शहर की जनता और खास कर आम जनता के हितों के लोए सोंचे ओर जो भी शहर के हितों से खिलवाड़ करने की सोंचे ओर विकास की गंगा को रोकने की कोशिश करे हम उनका पुर जोर विरोध करे चाहे वो नेता हो या कोई अधिकारी हो या कोई और ।
इसके लिए आवश्यकता है एक निस्वार्थ लोगो की निस्वार्थ टीम की ओर खास कर जनता के सहयोग की । टीम जब भी कोई शहर हित की कोई योजना लाये पूरा शहर उसको समर्थन करे और केवल समर्थन करे फिर देखो आने वाले दिनों में शहर की एक अलग पहचान बनती है या नही ?
गंभीर सच यह है कि इन सब हालातो का सार यह समझ में आया कि फिलहाल शहर के लोगो की चिंता ओर शहर का विकास विपक्ष के बूते की बात नही तो अब फिर चिंता करने वाला बचा कोन, बचा केवल सत्ता पक्ष यानी सत्ता पक्ष के लोगो का सत्ता के खिलाफ एक जुट होना बड़ा ही पेचीदा सवाल है । अब देखना यह है कि शहर के विकास का जिम्मा किसके कंधे पे रखना चाहती है जनता । सब कुछ जनता जनार्दन के ऊपर है इसलिए जनता अपनी आंखें खोले ओर मुंह खोले तब ही शहर का कुछ भला हो सकता है ।
इस लिए अब भी समय है हमे जागते हुए को जागना पड़ेगा ।
सोये हुए को जगाना आसान है लेकिन जागे हुये को जगाना मुश्किल है ।
एक ही काम है चाहे नेता हो या जनता
जहा अपना काम हो बनता , भाड़ में जाये जनता इस विचार धारा को तोड़ना होगा
हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर

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