बसने के 183 साल बाद ब्यावर शहर का दायरा परकोटे से बाहर फैला तो प्रदेश की पहली नगर परिषद में भी 16 से बढ़कर वार्ड 60 हो गए मगर इन सालों में विकास की रफ्तार बढऩे की बजाय धीमी होती गई। इसकी वजह चाहे राजनीतिक नेतृत्व की कमी रही हो या फिर अन्य कोई कारण, मगर इसका खमियाजा यहां की जनता को ही भुगतना पड़ रहा है।
परकोटे में पहले थे 16 वार्ड
प्रदेश की पहली नगर परिषद होने का गौरव रखने वाली ब्यावर की नगर परिषद ही शहरवासियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराती थी। उस समय परकोटे में सिमटे शहर में सुचारू व्यवस्था के लिए 16 वार्ड थे। जो बढ़ते शहर के दायरे के साथ बढ़कर अब 60 हो चुके हैं। इनमें 16 से 20, 20 से 24, 24 से 35, 35 से 45 और 45 से बढ़कर 60 वार्ड हुए।
16 से बढ़कर वार्ड हुए 60, मगर विकास की रफ्तार रही धीमी
1970 के बाद से ही महिलाओं की भागीदारी शुरू
1970 तक दो महिलाओं को सहवरण करने की प्रक्रिया रही। जिसे 1988 से चुनाव शुरू होने के साथ ही बंद कर महिलाओं को सीधे तौर पर चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया जाने लगा।
1973 तक तीन साल के लिए निर्वाचित होते थे हमारे पार्षद
जनता आज अपने वार्डों से जनप्रतिनिधि को चुनकर पांच साल के लिए भेजती है मगर 1973 तक तीन साल के लिए पार्षदों का कार्यकाल होता था।