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अब हर ट्रांसफार्मर की कोड नंबर से हाेगी पहचान

डिस्काॅम की ओर से अब प्रत्येक ट्रांसफार्मर को अलग से कोड दिया जाएगा। इसके बाद कर्मचारी प्रत्येक ट्रांसफार्मर को उसके कोड के जरिए पहचानेंगे। इसके बाद ट्रांसफार्मर के लोकेशन की जानकारी निगम कर्मचारियों को कार्यालय से ही मिल जाएगी। 

ट्रांसफार्मर को कोड दिए जाने के बाद ट्रांसफार्मर में तकनीकी खराबी होने या फाल्ट की सूचना आम आदमी निगम को आसानी से दे सकेगा। जिससे निगम के कर्मचारी कंप्यूटर पर ट्रांसफार्मर कोड संख्या अपलोड करेंगे तो उक्त ट्रांसफार्मर किस जगह लगा हुआ है इसका पता लग जाएगा। पूर्व में उपभोक्ता को ट्रांसफार्मर खराब होने की जानकारी कॉलोनी का नाम बताकर देनी पड़ती थी। लेकिन कॉलोनी में एक से अधिक ट्रांसफार्मर होने पर निगमकर्मी को संबंधित उपभोक्ता व ट्रांसफार्मर को ढूंढने में भी परेशानी होती थी, लेकिन अब कोड आवंटन से उपभोक्ता एंव निगमकर्मियों को काफी हद तक राहत मिलेगी। 

कोड से कर्मचारी जल्द दूर कर सकेंगे समस्या, कम-ज्यादा लोड के बारे में भी मिलेगी जानकरी

निगम की ओर से प्रत्येक ट्रांसफार्मर को कोड देने के बाद कर्मचारियों को इस बात की जानकारी आसानी से मिल सकेगी कि किस ट्रांसफार्मर से कितने उपभोक्ता जुड़े हुए हैं। प्रत्येक ट्रांसफार्मर से जुड़े उपभोक्ताओं की संख्या की जानकारी मिलने पर ये भी पता चलेगा कि किस ट्रांसफार्मर पर अतिरिक्त बोझ है। अधिकारियों का मानना है कि ट्रांसफार्मर पर कोड आवंटन से सप्लाई में भी सुधार होगा। 

कोड व्यवस्था शुरू हाेने के बाद ट्रांसफार्मर पर पड़ रहे अधिक विद्युत भार की जानकारी मिल सकेगी। जिससे समय रहते ही ट्रांसफार्मर क्षमता में बढ़ोतरी की जा सकेगी। इससे बिजली सप्लाई में भी सुधार होगा। इसके साथ ही भार अधिक होने पर उक्त ट्रांसफार्मर पर नया कनेक्शन नहीं जारी किया जाएगा।

अधिकारियों के मुताबिक ट्रांसफार्मर को कोड दिए जाने का कार्य दो चरणों में किया जाएगा। इसके तहत पहले चरण में ट्रांसफार्मर पर कोड लिखे जाएंगे। वहीं, दूसरे चरण में ट्रांसफार्मर पर मीटर लगाए जाएंगे। जिसके बाद मीटर से उपभोग होने वाली बिजली एवं छीजत का भी पता लग सकेगा। ऐसे में इस फीडर के अधीन ट्रांसफार्मर से जुड़े उपभोक्ताओं की संख्या एवं कुल बिलों की राशि की जानकारी भी मिल सकेगी। ऐसे में छीजत को देखते हुए निगमकर्मी चोरी करने वाले उपभोक्ताओं की जानकारी एकत्रित कर उनके खिलाफ कार्यवाही कर सकेंगे। इससे काफी हद तक बिजली चोरी भी रुकेगी जिससे निगम को राजस्व की प्राप्ति होगी। 

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