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तब की सोच, आज तक सहुलियत

ब्यावर को कर्नल डिक्सन ने 184 साल पहले बसाया था। क्रॉस की पवित्र आकृति पर बसाए गए ब्यावर की आकर्षक बसावट आज भी प्रदेश के अन्य शहरों में अपनी अलग पहचान रखता है। शहर की हर गली को इस तरह से बसाया गया कि कहीं भी गली बन्द नहीं होती है। हालांकि इस सुंदर बसावट को प्रशासनिक अनदेखी के चलते अतिक्रमण लीलता चला गया। इसके बावजूद भी शहर की बसावट, बाजार व चौपड़ अतीत के गौरव की कहानी को बयां करते है। कर्नल जार्ज डिक्सन ने एक फरवरी 18&6 को अजमेरी गेट के दाहिने गोखे के नीचे सनातन धर्म विधि से आधारशिला रख ब्यावर को नागरिक बस्ती की शक्ल दी। इस शहर की किलेबंदी करने में तीन वर्ष का समय लगा। शहर के चारों ओर चार गेट बनाए गए।इनमें चांगगेट, अजमेरी गेट, सुरजपोल गेट एवं मेवाड़ी गेट शामिल है। इसके अलावा नागरिक बस्ती की सुरक्षा की दृष्टि से चारों ओर परकोटा बनाया गया।सुव्यवस्थित है मुख्य बाजारशहर का मुख्य पाली बाजार चांगगेट से सुरजपोल गेट तक एवं अजमेरी गेट से मेवाड़ी गेट तक फैला हुआ है। इस बाजार की चौड़ाई के चलते लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। हालांकि सालों पहले इस बाजार की बसावट हुई। इस बीच बाजार ने अतिक्रमण का दंश भी झेला। इतना ही नहीं वाहनों की संख्या बढ़ी तो पार्किग की जगह भी कम पड़ती गई। इसके बावजूद सालों पहले ब्यावर को बसाते समय बरती गई दूरदृष्टि ने आज भी शहरवासियों को सहुलूयित दे रखी है। इसके अलावा श्रद्धानन्द बाजार, महावीर बाजार, पीपलिया बाजार सहित अन्य मुख्य बाजार है।पांच चौपड़ जोड़ती है विविध क्षेत्रों कोशहर में अलग-अलग पांच चौपड़ बनी है। यह चौपड़ भी शहर की उस वैभव की गवाह है। इसमें सुनारान चौपड़, मालियान चौपड़, लुहारान चौपड़, फतेहपूरिया चौपड़ एवं तेलियान चौपड़ शामिल है। इन चौपड़ पर शाम के समय लोगों की बैठक व चौपाल की चर्चा बनी रहती है।

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