केंद्र व राज्य सरकार की ओर से काश्तकारों को पर्याप्त बिजली मुहैया कराने के लिए विद्युत वितरण निगम को लगातार निर्देश दिए जाते रहते हैं। इसी के साथ ही काश्तकारों को बिजली उपलब्ध कराए जाने के लिए योजनाएं लागू की जाती हैं। ऐसे ही प्रयास के तहत अब सरकार की ओर से काश्तकारों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जाने को लेकर किसान ऊर्जा सुरक्षा व उत्थान महा अभियान योजना शुरु की गई है। योजना का फायदा उठाकर काश्तकार अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं। इसके साथ ही काश्तकार इस योजना के तहत अतिरिक्त आमदनी भी कर सकते हैं। काश्तकार जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरु कर सकते हैं।
इसमें किसान शहरों की तर्ज पर खेत में सोलर प्लांट और सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन कर बेच भी सकेंगे। इसमें 7.5 एचपी लोड तक के किसान ही शामिल हो पाएंगे। योजना की सबसे बड़ी बात यह है कि प्लांट की कुल लागत में से 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार, 30 प्रतिशत राज्य सरकार देगी। इसके साथ कृषि उपभोक्ताओं को लोन के रूप में 30 प्रतिशत रकम नाबार्ड फाइनेंस करेगा। किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर किसान बची हुई बिजली को बेच कर आर्थिक लाभ भी कमा सकेंगे।
सहायक अभियंता कार्यालय में कर सकेंगे आवेदन
योजना का फायदा उठाने के लिए काश्तकार को नजदीक के निगम कार्यालय में सहायक अभियंता से संपर्क करने के साथ ही आवेदन करना होगा। आवेदन के समय आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरूरी है। आवेदन के बाद सरकार किसान के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी। किसान, डिस्कॉम और बैंक के साथ तृतीय पक्ष एग्रीमेंट होगा। सोलर प्लांट की क्षमता एग्रीकल्चर पंप की क्षमता से दो गुना तक होगी। लोन की किश्त (मूल और ब्याज) सोलर प्लांट में अतिरिक्त उत्पादित बिजली को बेचकर जुटाई रकम से चुकाई जाएगी। लोन की अवधि अधिकतम 7 साल रहेगी। बिजली बेचने से हुई कमाई को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। पहला उपभोक्ता का और दूसरा लोन किश्त का।