टीबीसे होने वाली मौतों में कमी लाने और 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के मकसद से केंद्र सरकार के निर्देश पर टीबी के नए इलाज को जुलाई से प्रारंभ कर दिया जाएगा। हालांकि इस इलाज का नाम भी डॉट्स होगा और ये भी पूरे 6 माह का ही कोर्स होगा लेकिन इसमें ज्यादा कारगर दवाएं होने के साथ ही टीबी की जल्द पहचान कर इलाज शुरू करवाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। गौरतलब है कि देश में प्रतिवर्ष 5 लाख लोग टीबी के कारण दम तोड़ते हैं। दिल दहलाने वाली सच्चाई ये है कि भारत में पूरी दुनिया के एक चौथाई टीबी के मरीज हैं और पूरी तरह ठीक होने वाला इलाज होने के बाद भी हर साल भारत में लाखों लोग टीबी से जान गवां रहे हैं। इसी को लेकर किए गए सर्वे के अनुसार अब नई योजना पर कार्य किया जा रहा है।
दवाओंमें होगा बदलाव
डिस्ट्रिक्टट्यूबर क्लोसिस ऑफिसर डॉ. शेखर शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बदलाव दवाओं में हाेने वाले बदलाव है। इसके तहत अब मरीजों को सप्ताह में तीन दिन की बजाय सात दिन दवा लेनी होगी। ये कोर्स भी 6 माह तक चलेगा और 28 दिन का एक माह होगा। उन्होंने बताया कि ये एक रिवाइज प्रोग्राम है।
अगलेमाह तक चलेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
डॉ.शेखर शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के तहत पूरे जिले के 1 हजार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए 22 मई से 17 जून तक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचलित किया जाना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में संबंधित क्षेत्रों के मेडिकल ऑफिसर, एएनएम, लैब टैक्निशियन और टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। खास बात ये है कि इस प्रशिक्षण में आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही प्राइवेट प्रेक्टिशनर को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। जगह के अभाव में 25-25 जनों के बैच में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
संसाधनोंका अभाव
गौरतलबहै कि निदेशालय द्वारा उक्त प्रशिक्षण के लिए ब्यावर स्थित जिला क्षय रोग निवारण केंद्र को चयनित किया है, लेकिन जर्जर इमारत और सुविधाओं के अभाव में उक्त प्रशिक्षण चुनौती बना हुआ है। गौरतलब है कि गत वर्ष सितंबर में भी इस क्लिनिक में होने वाले प्रशिक्षण के दौरान मेडिकल ऑफिसर प्रशिक्षण को बीच में ही छोड़ गए थे।
200से ज्यादा डॉक्टर
प्रशिक्षणशिविर में 250 मेडिकल ऑफिसर, 425 एएनएम, 98 लैब टैक्निशियन, 102 मेल नर्स और 12 से ज्यादा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
जिला क्षय रोग निवारण केंद्र।