प्रसवके बाद कई प्रकार की जटिल बीमारियों से जूझने वाले नवजात बच्चों की केयर के मकसद से ब्यावर की नवनिर्मित मदर चाइल्ड केयर यूनिट में स्पेशलिटी न्यू बोर्न केयर यूनिट ने कार्य करना शुरू कर दिया है।
ब्यावर बने मदर चाइल्ड केयर यूनिट की बिल्डिंग में एसएनसीयू (स्पेशलिटी न्यू बोर्न केयर यूनिट) के लिए अलग से पार्टिशन बनाया गया है। गंभीर बीमारी से ग्रसित नवजात को हायर सेंटर रैफर करने की बजाय अब उसका उपचार ब्यावर में ही हो सके इसके मकसद से नवजात विशेष उपचार इकाई ने कार्य करना भी शुरू कर दिया है। इस वार्ड के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स वार्मर समेत अन्य अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किए गए हैं। गौरतलब है कि ब्यावर का राजकीय अमृतकौर अस्पताल प्रदेश के सबसे बड़े जिला अस्पतालों में शामिल है। यहां हर माह होने वाले प्रसवों की संख्या को देखते हुए मदर चाइल्ड केयर यूनिट का निर्माण शुरू किया गया।
300 बेड वाले राजकीय अस्पताल में कई ऐसी जरूरी सुविधाओं की कमी बनी हुई है जो उच्च स्तरीय उपचार में बाधक साबित होती है। लेकिन संसाधनों और मैन पॉवर की कमी के बावजूद मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने वाले जिला अस्पतालों में राजकीय अमृतकौर अस्पताल प्रदेश में तीसरे स्थान पर रहा। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत अब अस्पताल की स्थिति और सुधरने लगी है।
20 बेड का है एसएनसीयू
विभागके अनुसार अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस स्पेशलिटी न्यू बोर्न केयर यूनिट में 20 बेड हैं। इनमें से 12 बेड आउटडोर से भर्ती होने वाले नवजात बच्चों के लिए होंगे जबकि 8 बेड उन नवजात बच्चों के लिए आरक्षित हैं जो अस्पताल में ही प्रसव होने के बाद क्रिटीकल कंडिशन में एडमिट किए जाएंगे। एसएनसीयू में तैनात होने वाले नवजात बच्चों की केयर के लिए नर्सिंगकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
इनकाकहना है
^एसएनसीयूअत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। 20 बेड के एसएनसीयू के लिए नर्सिंगकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। हालांकि अभी हमारे पास पहले से ही कुछ ट्रेंड कर्मचारी है। डॉ.पीएम बोहरा, शिशु रोग विशेषज्ञ
ब्यावर. ब्यावर में बनी एफबीएनसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है।