शहर की बसावट के साथ ही सुरक्षा के लिए बनाए गए परकोटे और उनमें स्थित विभिन्न गेट में से एक नेहरू गेट अब 33 साल के बाद एक बार फिर नजर आएगा। अब तक किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली, मगर पार्षद कैलाश गहलोत के प्रयास के बाद नगर परिषद ने जीसी में प्रस्ताव पारित कर निर्माण को मंजूरी दी।
शहर की बसावट के साथ बने परकोटे में अजमेरी, गेट, चांगगेट, मेवाड़ी गेट, सूरजपोल गेट के साथ नेहरू गेट भी था। ट्रक द्वारा क्षतिग्रस्त करने के बाद पिछले 33 सालों से यह कागजों में रह गया था। ऐसे में पार्षद ने गेट के पुर्ननिर्माण का बीड़ा उठाया। उनके प्रयास पर सभापति बबीता चौहान ने भी सहमति जताते हुए इसे जीसी में शामिल किया। पार्षद कैलाश गहलोत ने बताया कि 1986 में रुई की गांठों से भरा एक ट्रक जब इसके नीचे से गुजर रहा था तो ओवरलोड होने की वजह से अधिक ऊंचाई की वजह से गेट क्षतिग्रस्त हो गया। इस पर परिषद ने ट्रक मालिक से 16 हजार 500 रुपए का जुर्माना वसूला मगर इसके निर्माण को लेकर गंभीरता नहीं जताई। जीसी में प्रस्ताव पर चर्चा होने के बाद नेहरू गेट के पुर्ननिर्माण के लिए 3.90 लाख रुपए का बजट मंजूर किया गया। निर्माण शाखा ने टेंडर प्रक्रिया जारी कर वर्क ऑर्डर जारी किए। शर्तों के मुताबिक गेट की कुल
ऊंचाई 29 फीट है जबकि आंतरिक ऊंचाई करीब 22 फीट है। जिससे बड़े वाहन भी आसानी से निकल सके।