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आमजन की कट रही जेब, शहर की सरकार खामोश

शहर की आबादी करीब साढे तीन लाख के करीब पहुंच चुकी है। बाहरी क्षेत्रों में तेजी से नई कॉलोनियां विकसित हुई है। इन कॉलोनियों से शहर में आने के लिए साधनों का अभाव है। शहर में नगरीय परिवहन सेवा की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सरकारी महकमों की ओर से अब तक इसको लेकर पहल नहीं की गई है। अमृत योजना में ब्यावर के शामिल किए जाने के बाद नगरीय परिवहन सेवा को लेकर परिषद की ओर से पहल की जानी थी। अमृत योजना के इस प्रावधान के बावजूद नगर परिषद प्रशासन ने इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। एेसे में शहरवासियों को मनमाना किराया देकर कॉलोनी से बाजार, अस्पताल, तहसील, नगर परिषद सहित अन्य काम के लिए कार्यालय तक आना पड़ रहा है। शहर के बाहरी कॉलोनियों से चांगगेट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, उपखंड कार्यालय, तहसील तक आने के लिए करीब चार से पांच किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। एक बार ऑटो किराए पर कर यहां तक आने के लिए कम से कम पचास से डेढ सौ रुपए अदा करना पड़ता है। रात के समय तो यह किराया मनमुताबिक वसूल किया जाता है। अमृत योजना के तहत नगरीय परिवहन सेवा को भी विकसित करना शामिल है लेकिन परिषद की ओर से अब तक इसको लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए है। सालों पहले विकसित किए गए ऑटो स्टैंड आज भी संचालित हो रहे है।
आवागमन के स्थाई व्यवस्था नहीं होने का खामियाजा सबसे अधिक दूर-दराज क्षेत्रों से शहर के बालिका विद्यालयों में पढऩे वाली छात्राओं को उठाना पड़ता है। आलम यह है कि शिक्षा प्राप्त करने वाली छात्राओं को समय पर विद्यालय पहुंचने के लिए एक घंटा पहले निकलना पड़ता है। इसी प्रकार विद्यालय से घर पहुंचने में भी एक घंटे से अधिक का समय लगता है। शहर में तीन राजकीय बालिका विद्यालय संचालित हो रहे है। जहां तीनों विद्यालयों में कुल दो हजार सात सौ से अधिक बालिका शिक्षा ग्रहण करती है। राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय छावनी व डिग्गी मोहल्ला में विज्ञान विषय होने के कारण छात्राओं की संख्या अधिक है। यहां पढऩे आने वाली छात्राएं अलग-अलग गांवों से आती है।

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