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अन्नपूर्णा दुग्ध योजना शुरू करने के बाद स्कूलों को बजट देना भूल गई सरकार

अन्नपूर्णा दुग्ध योजना शुरू करने के बाद स्कूलों को बजट देना भूल गई सरकार

सरकार की ओर से विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक विकास के लिए शुरू की गई अन्नपूर्णा दुग्ध योजना बजट के अभाव में खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है। जिस कारण संस्था प्रधानों को मजबूरन उधार में दूध लेकर दुग्ध योजना का संचालन करना पड़ रहा है,। यदि समय रहते भुगतान नहीं किया गया ताे सम्बंधित संस्थाए विद्यालयों में दूध सप्लाई तक बंद कर सकती है। इससे विद्यालय प्रशासन को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह स्थिति महज जवाजा ब्लॉक की नहीं पूरे अजमेर जिले की है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जुलाई 2018 में अन्नपूर्णा दुग्ध योजना शुरू की गई थी। इसमें प्रथम चरण में जुलाई व अगस्त में सप्ताह में तीन दिन दूध मुहैया करवाया जाना था, लेकिन सितम्बर से प्रतिदिन बच्चों को दूध उपलब्ध कराया जाना शुरू कर दिया गया। इसमें कक्षा पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को दूध उपलब्ध कराया जाता है। जिले में 1 हजार 888 राजकीय उच्च माध्यमिक, माध्यमिक,प्राथमिक,उच्च प्राथमिक, संस्कृत व मदरसा स्कूल संचालित है। जहां कक्षा 1 से 8वीं तक के कुल 2 लाख 21 हजार 500 विद्यार्थियों को दूध वितरण किया जा रहा है। इसमें कक्षा 1 से 5वीं तक 1 लाख 37 हजार विद्यार्थियों को डेढ़ सौ ग्राम व कक्षा 6 से 8वीं तक के 84 हजार 500 पंजीकृत विद्यार्थियों को दो साै ग्राम दूध पिलाया जा रहा है। इसके लिए विद्यालय संचालक ग्रामीण क्षेत्र में संचालित दुग्ध डेयरी से दूध ले रहे है। वहीं शहरी क्षेत्र में सरस पार्लर से दूध की विद्यालयों में सप्लाई की जा रही है। इसमें पांचवी तक के विद्यार्थियों के लिए 5.25 रुपए व आठवीं तक के बच्चों के लिए 7 रुपए प्रति छात्र दुग्ध के लिए भुगतान किया जाता है। यह भुगतान पहले सरकार की ओर से विद्यालयों के खाते में जमा करवाती थी। इसके बाद विद्यालय चेक जरिए संबधित संस्थाओं को भुगतान करती है, लेकिन योजना के चालू होने के तीन माह बाद अभी तक एक बार भी भुगतान नहीं मिला है। अब दूध डेयरी व पार्लर भुगतान के अभाव में कई विद्यालयों को दूध की सप्लाई करने से हाथ खींचने की तैयारी करने लगे है।

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