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ब्यावर में होगा डीएफसीसी का इस जोन का सबसे लंबा पुल

भारतीय रेलवे की सबसे महत्वाकांक्षी योजना डेडिकेडेट फ्रेट कॉरिडोर के तहत वेस्टर्न डेडिकेडेट फ्रेट कॉरिडोर का कार्य करीब पूरा होने के कगार पर है। इस योजना के तहत ब्यावर में बन रहा करीब 5 किलोमीटर लंबा और करीब ऊंचाई करीब 22 फीट ऊंचा पुल इस योजना के इस चरण का सबसे लंबा और ऊंचा पुल होगा। 

पुल दो नदियों और ब्यावर रेलवे स्टेशन की मुख्य बिल्डिंग के ऊपर से गुजरेगा। यह पुल ब्यावर के रिको एरिया से प्रारंभ होगा और 5 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने के बाद पुल अमरपुरा रेलवे स्टेशन के समीप वापस मुख्य लाइन के बराबर आएगा। इस योजना के तहत इस चरण का दूसरा सबसे लंबा पुल जयपुर के रिंगस के समीप बना है जिसकी कुछ लंबाई 2 किलोमीटर के करीब है अौर ऊंचाई भी 21 फीट से कुछ कम है। 

इस कारण सबसे लंबा पुल 

रेवाड़ी से इकबाल गढ़ तक डीएफसीसी के लिए ट्रैक बिछाने का कार्य कर रही कंपनी एलएनटी के कंस्ट्रक्शन मैनेजर शैलेंद्र सिंह ने बताया कि ब्यावर के समीप सबसे लंबा पुल बनने के पीछे कई कारण है। उन्होंने बताया कि अजमेर से ब्यावर की और छावनी के समीप छावनी नदी, रेलवे अंडरब्रिज, रेलवे स्टेशन, रेलवे समपार फाटक एलसी 26 और फिर नुंदडी नदी होने के कारण पुलिया की लंबाई बढ़ानी पड़ी। 

स्टेशन के सौंदर्य बचाना भी था चुनौती 

कंस्ट्रक्शन मैनेजर शैलेंद्र सिंह ने बताया कि ब्यावर रेलवे स्टेशन का ऐतिहासिक महत्व है। इस कारण रेलवे ने निर्देश दिए थे कि रेलवे स्टेशन की मुख्य बिल्डिंग पुलिया के पीछे दबनी नहीं चाहिए। इस कारण पुलिया की ऊंचाई भी मुख्य बिल्डिंग से ऊंची रखनी थी। इस कारण मुख्य पुलिया की ऊंचाई 22 फीट रखनी पड़ी। स्टेशन के समीप बना मुख्य पुल 300 मीटर लंबा बनाया गया है। जिसमें 15 पेयर पिलरों और साइड वॉल के मध्य 128 स्लैब रखे गए हैं। 

मार्च 2020 के अंत तक पूरा बन कर तैयार होगा पुल, रेवाड़ी से इकबालगढ़ तक बिछ रही लाइन का सबसे लंबा पुल होगा, 5 किलोमीटर होगी पुल की लंबाई 

अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बन रहा आधुनिक पुल 

कंस्ट्रक्शन मैनेजर शैलेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में कम ऊंचाई होने के बावजूद मालगाड़ियों की क्षमता कम है फिर भी उसके बैकअप पॉवर लगाना पड़ रहा है। इस ट्रैक में पूर्ण रूप से जापानी पटरियों का उपयोग किया जाएगा। अभी 12 से 15 फीट की ऊंचाई होने के बाद भी मालगाड़ियों का व्हील लोड क्षमता 22 टन (हर व्हील पर पड़ने वाला लोड) है और मालगाड़ी की लंबाई महज 700 मीटर तक होती है। इस पुल के स्लैब को इस प्रकार बनाया गया है कि डीएफसीसी पर दौड़ने वाली मालगाड़ी की लंबाई भी बढ़ाकर डेढ़ किलोमीटर हो जाएगी और व्हील लोड भी बढ़कर 32 टन हो जाएगा। इसके साथ ही इसमें सिंगल पॉवर (इंजन) ही लगेगा। ये ट्रैक डबल होगा। दोनों ट्रैक पर एक मालगाड़ी दूसरी से करीब 20 किलोमीटर पीछे चल सकेगी। प्रत्येक मालगाड़ी की लंबाई करीब 1 से डेढ़ किलोमीटर लंबी होगी। गाड़ी में 100 से 120 मालवाहक डिब्बे होंगे। 

जापान से आ रही हैं पटरियां 

डीएफसीसी के लिए वित्तीय सहायता जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (जायका) की ओर से दी जा रही है। कंपनी के करार मुताबिक ट्रैक बिछाने के लिए पटरियां समेत अन्य सामग्रियां भी जापान से आई है। इसके तहत मारवाड़ जंक्शन के समीप टुकड़ों में रेलवे लाइन पहुंच चुकी है। इस लाइन को जोड़ने के लिए वेल्डिंग का कार्य किया जा रहा है। रेलवे लाइन बिछाने के लिए मारवाड़ और नीम का थाना में स्लीपर बनाने कार्य किया गया है। मदार से पहले तक नीम का थाना से स्लीपर पहुंचे और मदार से पालनपुर के बीच लगने वाले करीब 13 लाख स्लीपर मारवाड़ में तैयार किए गए हैं। 

3 राज्यों को जोड़ रही है योजना 

रेवाड़ी, हरियाणा से शुरू हुआ यह कार्य नीम का थाना, रिंगस, फुलेरा, अजमेर, सेंदड़ा, मारवाड़ जंक्शन, सिरोही रोड, आबू रोड होते हुए इकबालगढ़ गुजरात तक के रेलवे स्टेशनों को जोड़ रहा है। इसके तहत हरियाणा में 71, राजस्थान में 535 और गुजरात में करीब 22 किलोमीटर ट्रैक बिछाया जा रहा है। किवरली साइट पर स्थापित लेब में जांच के बाद ही इसे उपयोग में लिया जा रहा है। 

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