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मन पसीजा तो ले लिया संकल्प

सेंदड़ा रोड स्थित एक सैलून संचालक पिछले तीन से लाडो के नि:शुल्क बाल काट रहा है। इन तीन साल में करीब तीन हजार लाडो का वो नि:शुल्क बाल काट चुके है। हर दिन औसत तीन से चार बालिकाएं उनके सैलून पर बाल कटवाने पहुंचती है। वों किसी से इसकी एवज में राशि नहीं लेते है। सेंदड़ा रोड पर शंकरभाई सेन की सैलून की दुकान है। वों अपनी सैलून पर आने वाली बालिकाओं के नि:शुल्क बाल काटते है। वों बताते है कि उनकी इच्छा है कि उनकी तरह ही हर शहर में कोई न कोई सैलून वाला बेटियों के नि:शुल्क बाल काटे। ऐसे की शुरुआत…शंकरभाई सेन ने बताया कि वर्ष 2016 में किसी काम से फतेहपूरिया क्षेत्र में गया। वहां पर खेल रही बालिकाओं से किसी के घर का पता पूछा। इस दौरान देखा कि एक बालिका के बाल उलझे हुए थे। बात करते हुए उससे पूछा कि बेटा बाल नहीं कटवाते हो क्या? उस बालिका ने सहज भाव से कहा कि अंकल दुकान पर गई थी। मम्मी ने बीस रुपए दिए थे लेकिन दुकान वालों ने पचास रुपए मांगे। इस कारण बाल नहीं काटे। यह बात शंकरभाई के मन में चुभ गई। उस बालिका को अपनी दुकान पर बुलवाकर बाल काटे। 25 जनवरी 2016 से ही तय कर दिया कि अब बेटियों के बाल नि:शुल्क काटने है। उस दिन के बाद से अब तक वों बेटियों के नि:शुल्क बाल काट रहे है। यह है मन में भाव…शंकरभाई ने बताया कि बेटिया को आगे बढ़ाने के लिए सरकार भी प्रयास कर रही है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देकर जागरुकता लाई जा रही है। इस जागरुकता के तहत ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एवं नि:शुल्क बेटियों के बाल कटवाओ का शामिल कर इस अभियान में शामिल हो गया। वो कहते है कि इस अभियान में उनकी हिस्सेदारी छोटी जरुर है लेकिन प्रेरित करने का प्रयास, उनका निरन्तर जारी रहेगा।

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